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क्या टमाटर बवासीर के लिए खराब हैं।क्या बवासीर में टमाटर खा सकते हैं

टमाटर एक ऐसी सब्जी है जो पूरी दुनिया में इस्तेमाल की जाती है। यह एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी  है 

जो उष्णकटिबंधीय देशों में विशेष रूप से पसंद किया जाता है। टमाटर का इस्तेमाल सलाद, सूप, सॉस, 

पास्ता और कई अन्य व्यंजनों में किया जाता है। इसके अलावा, टमाटर विटामिन सी, विटामिन के साथ-साथ 

बी-कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है।

क्या टमाटर बवासीर के लिए अच्छा है

हां टमाटर बवासीर के लिए अच्छा है क्योंकि टमाटर में फाइबर पाया जाता है। जो कब्ज को रोकने मे सहायता 

करता है पाचन को सुधारता है टमाटर सलाद के रुप मे खाना ज्यादा लाभदायक होता है। 

क्योंकि इससे  आपको ज्यादा पोषक तत्व प्राप्त होते है 
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टमाटर के बारे में एक भ्रम 

लोगो मे टमाटर को ले के एक धारणा यह  हैं कि टमाटर खाने से शरीर मे खून बढता हैं  ऐसा इसलिए क्योंकि टमाटर का रंग लाल होता है और संयोग से खून का रंग भी लाल होता हैं और इसलिए उन्हें लगता है कि लाल टमाटर खाने से खून भी बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ता है लेकिन यह गलत है टमाटर खाने से इतनी अधिक मात्रा में खून नहीं बनता टमाटर  देखने में भले ही लाल लगे टमाटर से बहुत ही कम मात्रा में खून बनता है उतना नहीं जितना कि लोग सोचते हैं क्योंकि टमाटर का लाल रंग लाइकोपीन के कारण होता है लाइकोपिन एक प्रकार का वर्णक होता है जो टमाटर  में लाल रंग प्रदान करता है और इसी कारण टमाटर का रंग लाल होता है 
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बवासीर की महत्वपूर्ण जानकारी और सामान्य सवाल जवाब जिसे आप जानकर बवासीर को जल्द से जल्द ठीक कर सकेंगे

बवासीर क्या हैं (bawasir kya hota hai)

 बवासीर एक ऐसा रोग जो बहुत कष्टदायक  होता है।बवासीर या पाइल्स एक ऐसी स्थिति है जो गुदा के आसपास की नसों में सूजन के कारण उत्पन होती है। इस  कारण आंतरिक या बाहरी बवासीर हो जाती हैं और जो गुदा में दर्द, खुजली और अन्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं।

बवासीर के लक्षण में शामिल होते हैं: गुदा में दर्द या सूजन, खूनी दस्त, खुजली, गुदा में लटकते हुए मांस या अनुभूति का जैसे कुछ बाहर  आ रहा है।

इस रोग का उपचार व्यक्ति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग होता है। इसके लिए दवाइयों, स्थानिक औषधियों, सुझावों और कुछ गंभीर मामलों में सर्जिकल इंटरवेंशन का भी उपयोग किया जा सकता है।

बवासीर रोग में चार ग्रेड होते हैं जो इस प्रकार है

पहला ग्रेड:  सबसे  सामान्य बवासीर की अवस्था होती है इसमें मस्से गुदा क्षेत्र के अंदर होते हैं जोकि दिखाई नहीं देते या सबसे सामान्य प्रकार की बवासीर  होती है जिसका इलाज बहुत जल्दी हो जाता है इसमें कुछ घरेलू नुस्खे और कब्ज को रोककर इलाज किया  जाता हैं

दूसरा ग्रेड: यह बवासीर की दूसरी अवस्था होती  हैं जिसमें मल त्याग के समय मस्से  बाहर आ जाते हैं और मल त्यागने के बाद अपने आप अंदर चले  जाते है 

तीसरा ग्रेड:यह बवासीर की तीसरी अवस्था होती हैं जिसमें मल त्याग के समय मस्से बाहर तो आ जाते है लेकिन आसनी से अन्दर नही जाते इसलिए मस्सों को हाथों के सहारे अन्दर करना होता है 

चौथा ग्रेड: बवासीर की चौथी अवस्था जिसमें  मस्से गुदा क्षेत्र के बाहर ही रहते है और जो कोशिश करने से भी अन्दर नही जाते  

बवासीर को रोकने के उपाय 

बवासीर को रोकने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं: 

स्थिर शरीरिक गतिविधियों से बचें, बहुत अधिक बैठने से बचें, भारी वस्तुओं को न उठाएं, तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें और अपने आहार में फल, सब्जियां ले

बवासीर की दवाई

पाइल्स का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस ग्रेड का है। बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है 

 (1) आंतरिक बवासीर 

 (2) बाहरी बवासीर।

 निम्नलिखित दिए गए उपायों को आजमाकर आप बवासीर से राहत पा सकते हैं।

आंतरिक बवासीर के लिए उपचार

फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, सब्जियां, अनाज आदि लें।

दिन में कम से कम दो लीटर पानी पिएं।

बैठने के लिए खराब कुर्सी नहीं होनी चाहिए

बाहरी बवासीर के लिए उपचार

पहले यह सुनिश्चित कर लें कि कहीं आप गुदा विदर या कैंसर जैसी  किसी अन्य समस्या का कारण तो नहीं बन रहे हैं।

अंत में दबाव कम करने के लिए बैठते समय एक तौलिया या सीट  का प्रयोग करें।

गुनगुने पानी में नमक मिलाकर तौलिये से बवासीर वाली जगह को साफ करें।

बवासीर के लिए होमियोपैथिक दवा 

हेमामेलिस 

हेमामेलिस खूनी बवासीर की होम्योपैथिक दवाई है आप खूनी बवासीर मैं हेमामेलिस 30 पावर का यूज कर सकते हैं और इसे यूज करना भी बिल्कुल आसान है आप इसकी 30 पावर की 5से 6 बूंद दिन में तीन बार सुबह दोपहर और शाम को खाना खाने से एक घंटा पहले या फिर खाना खाने के 1 घंटा बाद ले सकते हैं आप चाहे तो इस दवा को डायरेक्ट मुंह में ले सकते  है या फिर आधा कप पानी में 5 से 6 बू मिलाकर पी सकते हैं  यह एक होम्योपैथिक दवा  है और इस दवा का इड इफेक्ट भी नहीं है

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बवासीर के लिए ओर दवा

 बवासीर के लिए कैप्सूल भी उपलब्ध  है, असरदार  और आसान भी है बवासीर के इलाज में कैप्सूल बहुत ही महत्वपूर्ण है बवासीर के लिए अनेक प्रकार के आपको कैप्सूल  मिल जाएगें  कैप्सूल में कौन सा बढ़िया है और कौन सा नही  इसका अंदाजा तो लोगों के रिव्यू  पढ़कर भी पता लगाया जा सकता है फिर भी कुछ कंपनियों के कैप्सूल का जिक्र इस पोस्ट में करेंगे जो आपके  लिए  बहुत ही लाभदायक होगी 

अर्शकल्प कैप्सूल 

वेद ऋषि का अर्शकल्प कैप्सूल  बवासीर में बहुत ही असरदार कैप्सूल है इसके साथ ही आपको क्रीम  भी मिल जाती है जिससे बवासीर ठीक करने बहुत ज्यादा हेल्प हो जाती है

आप बवासीर के इलाज में इन दवाइयों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं

वैद्यनाथ बवासीर की दवा

सबसे पहले हम वैघनाथ  की ओर से आने वाली दवाई sidpiles के बारे में बात करेंगे जैसा कि आप लोग जानते होंगे बैद्यनाथ कंपनी आयुर्वेदिक दवा से बीमारियों का इलाज करती हैं और sidpiles  भी एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमें आपको बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधियां मिलेंगे जो एक खास अनुपात में मिलाकर बनाई गई हैं और यह दवा आपके बवासीर को ठीक करने में बहुत ही मददगार सिद्ध होगी

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 उपयोग होने वाली सामग्री

खाश (सुगंधावाला),बकायन मगज, कहरवा पिष्टी, कुटकी, खुनखरबा (लालबोल) हीराबोल, बहेड़ा छिल्का, हरड़ बड़ी (हरितकी) आंवला  काली, स्फटिक भस्म, नागकेशर, रसोंत, सूरन, जामिन कांडा (सुखा),निम्बोल

खुराक कैसे  ले

आयुर्वेदिक दवा को लेना बहुत ही आसान होता है क्योंकि लगभग जितनी भी आयुर्वेदिक दवाई होती हैं उनमें से ज्यादा दवा पर उनके लेने का तरीका और उन्हें कितनी मात्रा में लेना है यह लिखा होता है ऐसे ही sidpiles पर भी आपको ऐसे ही देखने को मिलेगा आप इसकी फोटो देखकर समझ सकते हैं कि आपको या दवाई कैसे और कितनी मात्रा में लेनी है

Vokin Biotech Piles care capsule

पाइल्स केयर मे सामग्री:

खुस,हरिताकी एक्सट्रैक्ट,विभिताकी  एक्सट्रैक्ट, जिमिकंद ए एक्सट्रैक्ट

इसके अलावा नीम और त्रिफला का यूज  भी किया गया है वयस्क लोग यूज कर सकते है यह दवा कैप्सूल के रुप में मिलती है इस दवा का कोई भी साइड इफेक्ट्स देखने को  नही मिलता क्योंकि यह पूरी तरह से आयुर्वेदिक दवा है इसके फायदे:

 त्रिफला, जीमीकंद, त्रिकातु जो पाचन स्वास्थ्य में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं

नीम जलन से राहत प्रदान करने में मदद करता है और रोगाणुरोधी एजेंट के रूप में काम करता है।

कब्ज को रोकता है और पाइल्स  को दोबारा होने से रोकने में मदद करता है। पाचन में सुधार, सूजन को कम करने में मदद करता है

पतंजलि बवासीर की दवा।

अगर बात करें हम बवासीर के इलाज की तो फिर पतंजलि कैसे पीछे हट सकता है पतंजलि में भी इसके लिए अनेक प्रकार की दवाई उपलब्ध है चाहे वह घरेलू आयुर्वेदिक और चाहे कोई घरेलू नुस्खा और फिर योग के द्वारा भी बवासीर को बाबा रामदेव के द्वारा ठीक करने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं हां वह बात अलग है के इन से कुछ लोगों को आराम नहीं होता लेकिन जब किसी तक किसी चीज को आजमाया  नहीं जाता तब तक उसके बारे में कुछ गलत नहीं कहा जा सकता अगर आपको भी बवासीर काफी ज्यादा परेशान कर रही है तो आप बाबा रामदेव के द्वारा बताए की दवा उपयोग कर सकते है 

बवासीर की दवा पतंजलि में क्या है, अगर देखा जाए तो अर्शकल्प वटी बवासीर के लिए इस्तेमाल होने वाली एक बहुत अच्छी दवाई है और यह दवाई बवासीर के इलाज में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती है इस बात का जिक्र कई बार बाबा रामदेव ने स्वयं किया  है इस वीडियो में देख सकते हैं इसके इसके साथ साथ आप पतंजलि त्रिफला चूर्ण का भी यूज कर सकते हैं जो आपके बवासीर में बहुत ज्यादा फायदा पहुंचाएगा त्रिफला लेने से पेट आसानी से साफ होता है और यह पेट में कब्ज भी नहीं बनने देता इसलिए कब्ज को रोकने में त्रिफला चूर्ण बहुत ही महत्वपूर्ण है

दूध से बवासीर का इलाज व नींबू से बवासीर का इलाज 

 दूध और नींबू से बवासीर का इलाज करने के लिए आपको यह घरेलू उपाय करना चाहिए 

एक गिलास ताजा ठंडा दूध लेना है और उसमें एक नींबू निचोड़ लेना  है और बिना देर किए उसे पी जाए ऐसा 1 सप्ताह तक करे आपकी  बवासीर की समस्या जड़ से समाप्त हो जाएगी 

वेद ऋषि का अर्शकल्प बवासीर के लिए 

वेद ऋषि का अर्शकल्प।बवासीर के लिए बहुत ही  अच्छी और असरदार औषधि है  बवासीर में  होने वाली  खुजली, जलन शांत करता है और आराम देता है दर्द से राहत मिलती  है। 

खुराक: अर्शकल्प कैप्सूल दिन में एक बार नाश्ते से पहले लगातार 3 दिनों तक दूध के साथ 2 कैप्सूल   लिया  जाता है या चिकित्सक की सलाह के अनुसार ले ले सकते हैं

 अर्शकल्प ऑइंटमेंट: को प्रभावित क्षेत्र पर दिन में दो बार या चिकित्सक के निर्देशानुसार लगाया जाता है। 

कुछ सामान्य सवाल जवाब 

बवासीर क्यूं  होता हैं इसके कुछ कारण  हैं  ( bavasir kyon hota hai)

बवासीर होने की  अधिक संभावना ऐसे व्यक्तियों में  अधिक होती है जिनका पेट लगातार खराब रहता है और जिन्हें बहुत ज्यादा कब्ज की समस्या बनी रहती है और लगातार कब्ज रहने से बवासीर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है कब्ज़ के अलावा भी बवासीर रोग होने के कई कारण है

कुछ अन्य कारण

 जो मल त्याग के दौरान अधिक जोर लगाते है

अधिक  समय तक शौचालय में बैठे रहते है, 

ऐसे खाद्य का ज्यादा सेवन जिनमें फाइबर कम हो

50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में 

गर्भवती महिलाओं में

 भारी सामान उठाने वाले या घंटो तक एक ही जगह पर बैठकर या खड़े  होकर काम करने से बवासीर   होने की अधिक  संभावना होती है

क्या बवासीर में चावल खा सकते है 

चावल कब्ज करता हैं अगर आप चावल को ठीक ढंग से और संतुलित मात्रा में खाते हैं तो आपको इससे कोई नुकसान नहीं होगा और अगर संतुलित 

मात्रा में नहीं खाते तो आप कब्ज की समस्या को जन्म दे सकते हैं जिसके कारण आपकी बवासीर ठीक होने में बहुत ज्यादा दिक्कत हो सकती हैं 

अगर आप चावल को मीठी वस्तु के साथ खाते हैं तो आप यह समझ ले कि आप फाइबर मुक्त खाना खा रहे हैं और अगर आप चावल को हरी सब्जी के साथ खा रहे हैं तो आप यह समझे कि आप 

फाइबर युक्त खाना खा रहे हैं फाइबर का मतलब रेशे वाला भोजन   जिसके कारण हमारा मल आसानी  से बाहर निकलता हैं  और यही स्थिति 

चावल के साथ देखने को मिलती है चावल में  बहुत कम मात्रा में फाइबर होता है और या यूं कहें कि लगभग होता ही नहीं है लेकिन आज भिन्न भिन्न प्रकार के चावल देखने को मिलते हैं और 

बहुत सी  ऐसी  किस्में होती है चावल की जिनमें बहुत कम मात्रा में है या थोड़ा बहुत फाइबर देखने को मिलता है अगर विकिपीडिया के अनुसार देखें 

तो लंबे चावलों में लगभग 100 ग्राम चावल में 0.0 4 ग्राम फाइबर होता है जो कि बहुत ही कम होता है और यही कारण होता है कि बवासीर जैसे रोग में चावल को खाने की सलाह नहीं दी जाती हां थोड़ा बहुत चावल जरूर खा सकते हैं लेकिन अधिक मात्रा में अधिक मात्रा में चावल का सेवन 

नहीं करना चाहिए और अगर चावल का सेवन करना ही है तो फिर चावल का सेवन हरी पत्तेदार सब्जियां जो होती हैं उनके साथ करना चाहिए 

क्योंकि हरी सब्जियां फाइबर की उच्च स्त्रोत होती है और इन में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है जैसे गोभी की सब्जी भिंडी की सब्जी लौकी की सब्जी ऐसी सब्जी होती हैं जिनमें उच्च मात्रा में 

फाइबर होता है इस तरह अगर आप उच्च फाइबर युक्त सब्जियों के साथ  चावल का सेवन करते हैं तो आपको  कब्ज की समस्या नहीं रहेगी और आपको बवासीर में भी आराम मिलेगा

बवासीर में ईसबगोल के फायदे क्या है

बवासीर में ईसबगोल  के बहुत फायदे हैं इसबगोल का मतलब ईसबगोल की भूसी जो कि इसके बीज का छिलका होता है ईसबगोल कब्ज के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है अगर किसी व्यक्ति को बवासीर नहीं भी है तो भी उसे इसबगोल का प्रयोग करना चाहिए ज्यादा नहीं तो हफ्ते में एक से दो बार, क्योंकि इसबगोल में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है और बिना फाइबर के हमारे पेट में कब्ज बनने लगती है और जिन लोगों को बवासीर रोग पहले से ही है उन लोगों को ईसबगोल  का सेवन करने से बहुत फायदा होगा  इसके सेवन की बात करें तो ईसबगोल की भूसी का सेवन अधिकतर  रात के समय किया जाता है और रात के समय प्रयोग करना ज्यादा लाभकारी होता है

क्या बवासीर में चिकन खा सकते है 

अगर आप मांसाहारी है और अंडा, मुर्गा, मछली  खाना पसंद करते हैं और आपको बवासीर  रोग हैं तो फिर आपको ये चीजें नहीं खानी चाहिए क्योंकि ये ऐसी चीजें है जो  बवासीर को ज्यादा बढ़ा देती है जिसके कारण बवासीर  रोग जल्दी से ठीक नहीं होगा आपने एक बात अवश्य देखी होगी  जब भी चिकन बनाया जाता  है तो उसमें बहुत ज्यादा मात्रा में तेल और मसालों का प्रयोग किया जाता है जो कि बवासीर के रोगी के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं चिकन में फाइबर नहीं पाया जाता इसलिए बवासीर के रोगी को चिकन नहीं खाना चाहिए 

बवासीर में केले के फायदे क्या हैं

बवासीर में केले के फायदे है आप चाहे सब्जी के रूप में खाएं या फिर पकाकर देखा जाए तो केला अधिकतर पका हुआ ही खाया जाता हैं केले में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं और साथ ही साथ इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर (रेशे) भी पाया जाता है जो बवासीर रोगियों के लिए फायदेमंद होता है

बवासीर में बादाम खाना चाहिए या नहीं 

बवासीर में बादाम  खाना चाहिए या फिर नहीं अगर आपके मन में यह प्रश्न  है तो आपको यह बात अच्छे से समझ लेनी चाहिए कि बादाम  से बवासीर रोग  ठीक नहीं होगा
चाहे आप बादाम  कम मात्रा में खाएं या फिर अधिक मात्रा में लेकिन अगर आप बादाम किसी और स्वास्थ्य लाभ लिए खाना चाहते हैं तो फिर आप बादाम  का सेवन कर सकते हैं बादाम से अगर बवासीर में कोई फायदा नहीं हुआ तो इससे नुकसान भी नहीं होगा अगर हम  फाइबर  की बात करें तो विकिपीडिया के अनुसार  100 ग्राम बादाम में लगभग 10 से 12 ग्राम फाइबर  पाया जाता है यह बादाम की क्वालिटी के ऊपर निर्भर करता है यह कम और ज्यादा भी हो सकता है  इस फाइबर की मात्रा को हम बवासीर रोगियो के  लिए ज्यादा अच्छा तो नहीं कह सकते क्योंकि बवासीर के रोगियों को उच्च फाइबर युक्त वाले भोजन की आवश्यकता ज्यादा होती है ऐसे में आप अगर बादाम का सेवन करना चाहते है  तो आप सेवन कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे आप बादाम का सेवन अधिक मात्रा में ना करें क्योंकि अगर आप अधिक मात्रा में सेवन करते है तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे शरीर में अत्यधिक गर्मी,खुजली होना 

बवासीर में गर्म पानी पीने के फायदे 

बवासीर में गर्म पानी पीने के क्या फायदे होते हैं कुछ लोगों को लगता है कि बवासीर में गर्म पानी पीने से बहुत फायदा होता है लेकिन यह धारणा बहुत गलत होती है क्योंकि गर्म पानी से कोई फायदा नहीं होता है और इसमें रेशे नहीं होते हैं यह सामान्य पानी की तरह होता हैं कभी-कभी ऐसा लगता है कि गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या नहीं बनेगी लेकिन ऐसा नहीं है अगर आप गर्म पानी की जगह ठंडा पानी या फिर गुनगुने पानी का भी सेवन करते हैं तो यह कब्ज की समस्या में लाभदायक होता है लेकिन गरम पानी पीने से ज्यादा फायदा होगा ऐसा नहीं होता क्योंकि जब हम गर्म पानी पीते हैं तो  आधे से ज्यादा पानी हमारे मुंह में ही  ठंडा हो जाता है और इस तरह वह हमारे पेट में गुनगुने पानी की तरह ही काम करता है इसलिए आप गर्म पानी की जगह गुनगुने पानी का ही सेवन करें तो आपको बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे

बवासीर में रोटी खानी चाहिए या नहीं?

बवासीर में रोटी खानी चाहिए या नहीं यह जरूरी और बहुत ही महत्वपूर्ण क्वेश्चन है क्योंकि रोटी तो हम आप सभी खाते हैं लेकिन बवासीर में किस प्रकार की रोटी खानी चाहिए जिससे हमें फायदा हो और बवासीर बहुत जल्दी ठीक हो जाए क्योंकि  रोटी कौन सी खानी चाहिए इसका आपको पता होना चाहिए अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार के रोटी खाते हैं जैसे गेहूं की रोटी मक्का की रोटी, चावल की  रोटी , ज्वार की रोटी लेकिन सबसे ज्यादा गेहूं की रोटी खाई जाती हैं सबसे बेस्ट रोटी चोकर के आटे की रोटी होती है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जिससे मल त्यागने में बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होती और बवासीर रोगी को कब्ज में बहुत ज्यादा आराम होता हैं

बवासीर में  मीठा खाना चाहिए या नहीं 

बवासीर में मीठा खाने से कोई  हानि नही होती अगर वह सिमित मात्रा में खाया जाता है  अगर देखा जाए तो मीठा  अनेक तरह से खाया जाता है ज्यादातर मिठाई के जरिए और सीधे तोर पर भी खाया जाता इसमें  फाइबर नहीं  पाया जाता इसलिए  जितना हो सके मीठा  कम ही खाएं  

बवासीर में लहसुन खाना चाहिए या नहीं 

जहाँ तक बवासीर में लहसुन  खाने की बात है तो लहसुन का प्रयोग कम ही करना चाहिए चाहे आप बवासीर में करें या फिर सामान्य रूप से करें ऐसा माना जाता है कि लहसुन की एक या दो कली ही व्यक्ति को खानी चाहिए इससे ज्यादा खाने पर व्यक्ति को अनेक प्रकार की परेशानी हो सकती है अगर आप बवासीर में लहसुन खाना चाहते हैं तो बहुत सीमित मात्रा में लहसुन की 1 या 2 कली का ही प्रयोग करें इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा

क्या मेथी से बवासीर का इलाज हो सकता है 

मेथी से बवासीर का पूरा इलाज नहीं हो सकता लेकिन इससे फायदा जरुर हो सकता है बादी बवासीर में, खूनी बवासीर में लाभ नहीं होगा बादी बवासीर की समस्या  है तो इस प्रयोग को कर सकते हैं इसके लिए 4 से 5 ग्राम या फिर चुटकी भर मेथी रात को पानी में भिगोकर रख दे और सुबह पानी  को पी ले और मेथी के दानो को भी चबाकर खा जाए ऐसा करने से बवासीर मे फायदा होगा और पेट में बनने वाली कब्ज से भी राहत मिलेगी मेथी थोडी कड़वी लगती है आप स्वाद के अनुसार इसमेंं गुड या शक्कर मिला सकते हैलेकिन क्या ऐसा करने से फायदा होगा हमें  लगता है कि आप इस तरह के घरेलू उपाय के ही भरोसे मत बैठे अन्य दवाई भी साथ मे लेते रहे

 क्या बिना ऑपरेशन के बवासीर पूरी तरह से ठीक हो सकता है?

जी हां, बवासीर को बिना ऑपरेशन के पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। बवासीर के इलाज के लिए कुछ घरेलू नुस्खे जिन्हें अगर समय पर अपनाया जाए तो बवासीर ठीक हो सकती है।बवासीर के कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

सही आहार: बवासीर के इलाज के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है। सही आहार खाने से बवासीर के लक्षणों में सुधार हो सकता है। 

शरीर में पानी की कमी न होने दे : डिहाइड्रेशन बवासीर के लक्षणों को और बढ़ा देता है अर्थात शरीर में पानी की कमी इसलिए रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पिएं।,

फाइबर युक्त आहार: फाइबर से भरपूर फल और सब्जियों का सेवन करने से बवासीर के लक्षणों में सुधार होता है।

अपनी खडे होने व बैठने की आदतें बदले: लंबे समय तक बैठे रहने से बवासीर के लक्षण बढ़ सकते हैं, इसलिए अपनी बैठने की आदतों को बदलने की जरूरत है। अगर आप अधिक समय तक बैठे रहते हैं तो बीच-बीच में थोड़ी देर चलते फिरते रहे और अगर आप अधिक समय तक ऐसा कोई काम करते हो जिसमें अधिक समय  खड़े रहते हैं तो फिर बीच-बीच में थोड़ी देर के लिए बैठ जाएं

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