bawasir kyu hota hai in hindi। बवासीर क्यों होता है इन हिंदी

 बवासीर, जिसे पाइल्स  के रूप में भी जाना जाता है, एक स्वास्थ्य समस्या है जो आपके गुदा के आसपास की नसों में सूजन और परिवर्तन के कारण होती है। यह आमतौर पर खूनी या गैर-खूनी हो सकती है और कई लोगों को प्रभावित कर सकती है, आमतौर पर वृद्ध लोगों में ज्यादा 

bawasir kya hota hai

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बवासीर कई स्थितियों और कारकों के संयोजन के कारण हो सकता है। यहाँ कुछ मुख्य कारणों की व्याख्या की गई है:

ठंड और गर्मी: अत्यधिक ठंड या गर्मी में बैठने से रक्त वाहिकाओं में सूजन हो सकती है और बवासीर का विकास हो सकता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि ऐसा हो यह सिर्फ संभावना है

कब्ज: लंबे समय तक अवसाद, अपच या गैस से जुड़ा कब्ज रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ा सकता है और बवासीर का कारण बन सकता है।

लंबे समय तक बैठना और खड़े रहना: अगर आप लंबे समय तक बैठे या खड़े रहते हैं तो इससे पेट के नीचे की नसों में दबाव बनता है जिससे बवासीर की समस्या हो सकती है।

शारीरिक तनाव: लंबे समय तक शारीरिक तनाव में रहने, भारी वजन उठाने या दबावयुक्त मल त्याग करने से रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ सकता है और बवासीर हो सकता है।

प्रसव: बवासीर गर्भावस्था के दौरान, जन्म देने के बाद, या बच्चे के जन्म के दबाव के कारण हो सकता है।

बवगुदा में दर्द या सूजन, खूनी दस्त, खुजली, गुदा में लटकते हुए मांस या अनुभूति का जैसे कुछ बाहर  आ रहा है।

इस रोग का उपचार व्यक्ति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग होता है। 

बवासीर रोग में चार ग्रेड होते हैं जो निम्नलिखत  है

प्रथम ग्रेड: यह सबसे  सामान्य बवासीर की अवस्था होती है इसमें मस्से गुदा क्षेत्र के अंदर होते हैं जोकि दिखाई नहीं देते या सबसे सामान्य प्रकार की बवासीर  होती है जिसका इलाज बहुत जल्दी हो जाता है इसमें कुछ घरेलू नुस्खे और कब्ज को रोककर इलाज किया  जाता हैं

दूसरा ग्रेड: यह बवासीर की दूसरी अवस्था होती  हैं जिसमें मल त्याग के समय मस्से  बाहर आ जाते हैं और मल त्यागने के बाद अपने आप अंदर चले  जाते है 

तीसरा ग्रेड:यह बवासीर की तीसरी अवस्था होती हैं जिसमें मल त्याग के समय मस्से बाहर तो आ जाते है लेकिन आसनी से अन्दर नही जाते इसलिए मस्सों को हाथों के सहारे अन्दर करना होता है 

चौथा ग्रेड: बवासीर की चौथी अवस्था जिसमें  मस्से गुदा क्षेत्र के बाहर ही रहते है और जो कोशिश करने से भी अन्दर नही जाते  

बवासीर रोकने के उपाय 

बवासीर को रोकने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं: स्थिर शरीरिक गतिविधियों से बचें, बहुत अधिक बैठने से बचें, भारी वस्तुओं को न उठाएं, तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें और अपने आहार में फल, सब्जियां ले

बवासीर की दवाई

पाइल्स का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस ग्रेड का है। बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है - आंतरिक और बाहरी बवासीर। नीचे दिए गए उपायों को आजमाकर आप बवासीर से राहत पा सकते हैं।

आंतरिक बवासीर के लिए उपचार

फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, सब्जियां, अनाज आदि लें।

दिन में कम से कम दो लीटर पानी पिएं।

बैठने के लिए खराब कुर्सी नहीं होनी चाहिए

दवा के रूप में लैक्टुलोज लें। इसका उपयोग डायरिया-रोधी दवाओं में किया जाता है।

बाहरी बवासीर के लिए उपचार

पहले यह सुनिश्चित कर लें कि कहीं आप गुदा विदर या कैंसर जैसी  किसी अन्य समस्या का कारण तो नहीं बन रहे हैं।

अंत में दबाव कम करने के लिए बैठते समय एक तौलिया या सीट  का प्रयोग करें।

गुनगुने पानी में नमक मिलाकर तौलिये से बवासीर वाली जगह को साफ करें।

बवासीर के लिए अन्य दवाई

 बवासीर के लिए कैप्सूल भी उपलब्ध  है, असरदार  और आसान भी है बवासीर के इलाज में कैप्सूल बहुत ही महत्वपूर्ण है बवासीर के लिए अनेक प्रकार के आपको कैप्सूल  मिल जाएगें  कैप्सूल में कौन सा बढ़िया है और कौन सा नही  इसका अंदाजा तो लोगों के रिव्यू  पढ़कर भी पता लगाया जा सकता है फिर भी कुछ कंपनियों के कैप्सूल का जिक्र इस पोस्ट में करेंगे जो आपके  लिए  बहुत ही लाभदायक होगी 

P-6 कैप्सूल  बवासीर के लिए 

बवासीर के लिए p-6 कैप्सूल  काफी असरदार माना जाता है और यह आयुर्वेदिक भी है  आप बवासीर  को ठीक करने के लिए इस कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन अगर आपको अंदरूनी जख्म, जलन इस तरह की समस्या  भी है तो आप ऑइंटमेंट का  भी यूज करें करें इससे आपको बहुत ही जल्दी फायदा होगा 

Kampiles herbal capsules 

P-6 capsules in hindi


 KAMPILES आपके बवासीर को सिकोड़ देता है और बेचैनी से राहत देता है। यह आपकी खुजली को शांत करता है और सूजन को कम करता है। जड़ी-बूटियों से युक्त इस केम्पाइल्स कैप्सूल का सेवन करके अपने आप को बवासीर की समस्या से मुक्ति दिलाएं। यह शून्य साइड इफेक्ट के लिए सभी प्राकृतिक और हर्बल सामग्री का उपयोग हैं। इस जीवनशैली में बवासीर एक आम समस्या है। यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। kam piles capsules  खास फॉर्मूला से तैयार किया गया जो आपको बेहतर और ताजा  रखने में मदद करेगा।

अर्शकल्प कैप्सूल 

वेद ऋषि का अर्शकल्प कैप्सूल  बवासीर में बहुत ही असरदार कैप्सूल है इसके साथ ही आपको क्रीम  भी मिल जाती है जिससे बवासीर ठीक करने बहुत ज्यादा हेल्प हो जाती है

आप बवासीर के इलाज में इन दवाइयों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं

वैद्यनाथ बवासीर की दवा

सबसे पहले हम वैघनाथ  की ओर से आने वाली दवाई sidpiles के बारे में बात करेंगे जैसा कि आप लोग जानते होंगे बैद्यनाथ कंपनी आयुर्वेदिक दवा से बीमारियों का इलाज करती हैं और sidpiles  भी एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमें आपको बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधियां मिलेंगे जो एक खास अनुपात में मिलाकर बनाई गई हैं और यह दवा आपके बवासीर को ठीक करने में बहुत ही मददगार सिद्ध होगी

इस में उपयोग होने वाली सामग्री

खाश (सुगंधावाला),बकायन मगज, कहरवा पिष्टी, कुटकी, खुनखरबा (लालबोल) हीराबोल, बहेड़ा छिल्का, हरड़ बड़ी (हरितकी) आंवला  काली, स्फटिक भस्म, नागकेशर, रसोंत, सूरन, जामिन कांडा (सुखा),निम्बोल

खुराक लेने का तरीके

आयुर्वेदिक दवा को लेना बहुत ही आसान होता है क्योंकि लगभग जितनी भी आयुर्वेदिक दवाई होती हैं उनमें से ज्यादा दवा पर उनके लेने का तरीका और उन्हें कितनी मात्रा में लेना है यह लिखा होता है ऐसे ही sidpiles पर भी आपको ऐसे ही देखने को मिलेगा आप इसकी फोटो देखकर समझ सकते हैं कि आपको या दवाई कैसे और कितनी मात्रा में लेनी है

Vokin Biotech Piles care capsule


पाइल्स केयर में सक्रिय सामग्री:

जिमिकंद एक्सट्रैक्ट,खुस,हरिताकी एक्सट्रैक्ट,विभिताकी एक्सट्रैक्ट
इसके अलावा नीम और त्रिफला का यूज  भी किया गया है वयस्क लोग यूज कर सकते है यह दवा कैप्सूल के रुप में मिलती है इस दवा का कोई भी साइड इफेक्ट्स देखने को  नही मिलता क्योंकि यह पूरी तरह से आयुर्वेदिक दवा है 

फायदे:

 त्रिफला, जीमीकंद, त्रिकातु जो पाचन स्वास्थ्य में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं

नीम जलन से राहत प्रदान करने में मदद करता है और रोगाणुरोधी एजेंट के रूप में भी काम करता है।

कब्ज को रोकता है और बवासीर को दोबारा होने से रोकने में मदद करता है। पाचन में सुधार, सूजन को कम करने में मदद करता है

हिमालय बवासीर की दवा

बवासीर के इलाज में एक  अच्छी  दवा जो हिमालय   कंपनी की ओर से बनाई गई है हिमालय कंपनी भी एक दवा कंपनी है जो विभिन्न रोगों के उपचार के लिए दवाइयां और अन्य स्वास्थ्य उत्पाद का निर्माण करती है हिमालय कंपनी की और जानेवाली हिमालय पाइल्स आपके बवासीर में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी आप इसका यूज कर कर देख सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं

पतंजलि बवासीर की दवा।

अगर बात करें हम बवासीर के इलाज की तो फिर पतंजलि कैसे पीछे हट सकता है पतंजलि में भी इसके लिए अनेक प्रकार की दवाई उपलब्ध है चाहे वह घरेलू आयुर्वेदिक और चाहे कोई घरेलू नुस्खा और फिर योग के द्वारा भी बवासीर को बाबा रामदेव के द्वारा ठीक करने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं हां वह बात अलग है के इन से कुछ लोगों को आराम नहीं होता लेकिन जब किसी तक किसी चीज को आजमाया  नहीं जाता तब तक उसके बारे में कुछ गलत नहीं कहा जा सकता अगर आपको भी बवासीर काफी ज्यादा परेशान कर रही है तो आप बाबा रामदेव के द्वारा बताए की दवा उपयोग कर सकते है 

बवासीर की दवा पतंजलि में क्या है, अगर देखा जाए तो अर्शकल्प वटी बवासीर के लिए इस्तेमाल होने वाली एक बहुत अच्छी दवाई है और यह दवाई बवासीर के इलाज में बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती है इस बात का जिक्र कई बार बाबा रामदेव ने स्वयं किया  है इस वीडियो में देख सकते हैं इसके इसके साथ साथ आप पतंजलि त्रिफला चूर्ण का भी यूज कर सकते हैं जो आपके बवासीर में बहुत ज्यादा फायदा पहुंचाएगा त्रिफला लेने से पेट आसानी से साफ होता है और यह पेट में कब्ज भी नहीं बनने देता इसलिए कब्ज को रोकने में त्रिफला चूर्ण बहुत ही महत्वपूर्ण है

दूध व नींबू से बवासीर का इलाज कैसे करें 

 दूध से और नींबू से बवासीर का इलाज करने के लिए आपको यह घरेलू उपाय करना चाहिए इससे आपका बवासीर बाबा रामदेव के अनुसार बिल्कुल ठीक हो जाएगा और अगर आपका बवासीर  कुछ भी नहीं ठीक होता  है तो आप आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज करें

वेद ऋषि का अर्शकल्प 

वेद ऋषि का अर्शकल्प।बवासीर के लिए बहुत ही  अच्छी और असरदार औषधि है  बवासीर में  होने वाली  खुजली, जलन शांत करता है और आराम देता है दर्द से राहत मिलती  है। 

खुराक: अर्शकल्प कैप्सूल दिन में एक बार नाश्ते से पहले लगातार 3 दिनों तक दूध के साथ 2 कैप्सूल   लिया  जाता है या चिकित्सक की सलाह के अनुसार ले ले सकते हैं

 अर्शकल्प ऑइंटमेंट: को प्रभावित क्षेत्र पर दिन में दो बार या चिकित्सक के निर्देशानुसार लगाया जाता है। 

कुछ सामान्य सवाल जवाब 

बवासीर क्यों होता हैं इसके कारण क्या हैं  ( bavasir kyon hota hai)

बवासीर होने की  अधिक संभावना ऐसे व्यक्तियों में  अधिक होती है जिनका पेट लगातार खराब रहता है और जिन्हें बहुत ज्यादा कब्ज की समस्या बनी रहती है और लगातार कब्ज रहने से बवासीर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है कब्ज़ के अलावा भी बवासीर रोग होने के कई कारण है

कुछ अन्य कारण

 जो मल त्याग के दौरान अधिक जोर लगाते है

,लंबे समय तक शौचालय में बैठे रहते है, 

ऐसे खाद्य पदार्थ का ज्यादा सेवन जिनमें फाइबर कम हो, 

50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को,

गर्भवती महिलाओं में, 

 भारी सामान उठाने वाले या घंटो तक एक ही जगह पर बैठकर या खड़े  होकर काम करने से बवासीर   होने की अधिक  संभावना होती है

बवासीर में चावल खाना चाहिए या नहीं

बवासीर में चावल खाना चाहिए या नहीं इसको जानना बहुत जरूरी होता है अगर आप बवासीर रोग से पीड़ित हैं तो, हमारे भारत और दुनिया में बहुत ज्यादा मात्रा में चावल  खाया जाता हैं और बवासीर का रोग भी  बहुत लोगों को है ऐसे में चावल कैसे खाएं और कितना खाएं यह जानना बहुत जरूरी है क्योंकि बवासीर में कब्ज  बहुत   ज्यादा होती है बवासीर को ठीक करना है तो कब्ज को पहले ठीक करना होगा और कब्ज को ठीक करने के लिए आपको अपने खान-पान में सुधार करना होगा आपको ऐसी चीजें खानी  होंगी जो कब्ज को रोकने में सहायक होती है

चावल कब्ज करता हैं अगर आप चावल को ठीक ढंग से और संतुलित मात्रा में खाते हैं तो आपको इससे कोई नुकसान नहीं होगा और अगर संतुलित मात्रा में नहीं खाते तो आप कब्ज की समस्या को जन्म दे सकते हैं जिसके कारण आपकी बवासीर ठीक होने में बहुत ज्यादा दिक्कत हो सकती हैं अगर आप चावल को मीठी वस्तु के साथ खाते हैं तो आप यह समझ ले कि आप फाइबर मुक्त खाना खा रहे हैं और अगर आप चावल को हरी सब्जी के साथ खा रहे हैं तो आप यह समझे कि आप फाइबर युक्त खाना खा रहे हैं फाइबर का मतलब रेशे वाला भोजन   जिसके कारण हमारा मल आसानी  से बाहर निकलता हैं  और यही स्थिति चावल के साथ देखने को मिलती है चावल में  बहुत कम मात्रा में फाइबर होता है और या यूं कहें कि लगभग होता ही नहीं है लेकिन आज भिन्न भिन्न प्रकार के चावल देखने को मिलते हैं और बहुत सी  ऐसी  किस्में होती है चावल की जिनमें बहुत कम मात्रा में है या थोड़ा बहुत फाइबर देखने को मिलता है अगर विकिपीडिया के अनुसार देखें तो लंबे चावलों में लगभग 100 ग्राम चावल में 0.0 4 ग्राम फाइबर होता है जो कि बहुत ही कम होता है और यही कारण होता है कि बवासीर जैसे रोग में चावल को खाने की सलाह नहीं दी जाती हां थोड़ा बहुत चावल जरूर खा सकते हैं लेकिन अधिक मात्रा में अधिक मात्रा में चावल का सेवन नहीं करना चाहिए और अगर चावल का सेवन करना ही है तो फिर चावल का सेवन हरी पत्तेदार सब्जियां जो होती हैं उनके साथ करना चाहिए क्योंकि हरी सब्जियां फाइबर की उच्च स्त्रोत होती है और इन में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है जैसे गोभी की सब्जी भिंडी की सब्जी लौकी की सब्जी ऐसी सब्जी होती हैं जिनमें उच्च मात्रा में फाइबर होता है इस तरह अगर आप उच्च फाइबर युक्त सब्जियों के साथ  चावल का सेवन करते हैं तो आपको  कब्ज की समस्या नहीं रहेगी और आपको बवासीर में भी आराम मिलेगा

बवासीर में ईसबगोल के फायदे क्या है

बवासीर में ईसबगोल  के बहुत फायदे हैं इसबगोल का मतलब ईसबगोल की भूसी जो कि इसके बीज का छिलका होता है ईसबगोल कब्ज के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है अगर किसी व्यक्ति को बवासीर नहीं भी है तो भी उसे इसबगोल का प्रयोग करना चाहिए ज्यादा नहीं तो हफ्ते में एक से दो बार, क्योंकि इसबगोल में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है और बिना फाइबर के हमारे पेट में कब्ज बनने लगती है और जिन लोगों को बवासीर रोग पहले से ही है उन लोगों को ईसबगोल  का सेवन करने से बहुत फायदा होगा  इसके सेवन की बात करें तो ईसबगोल की भूसी का सेवन अधिकतर  रात के समय किया जाता है और रात के समय प्रयोग करना ज्यादा लाभकारी होता है

बवासीर में chicken खाना चाहिए या नहीं 

अगर आप मांसाहारी है और अंडा, मुर्गा, मछली  खाना पसंद करते हैं और आपको बवासीर  रोग हैं तो फिर आपको ये चीजें नहीं खानी चाहिए क्योंकि ये ऐसी चीजें है जो  बवासीर को ज्यादा बढ़ा देती है जिसके कारण बवासीर  रोग जल्दी से ठीक नहीं होगा आपने एक बात अवश्य देखी होगी  जब भी चिकन बनाया जाता  है तो उसमें बहुत ज्यादा मात्रा में तेल और मसालों का प्रयोग किया जाता है जो कि बवासीर के रोगी के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं चिकन में फाइबर नहीं पाया जाता इसलिए बवासीर के रोगी को चिकन नहीं खाना चाहिए 

बवासीर में केले के फायदे क्या हैं

बवासीर में केले के फायदे है आप चाहे सब्जी के रूप में खाएं या फिर पकाकर देखा जाए तो केला अधिकतर पका हुआ ही खाया जाता हैं केले में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं और साथ ही साथ इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर (रेशे) भी पाया जाता है जो बवासीर रोगियों के लिए फायदेमंद होता है

बवासीर में बादाम खाना चाहिए या नहीं 

बवासीर में बादाम  खाना चाहिए या फिर नहीं अगर आपके मन में यह प्रश्न  है तो आपको यह बात अच्छे से समझ लेनी चाहिए कि बादाम  से बवासीर रोग  ठीक नहीं होगा
चाहे आप बादाम  कम मात्रा में खाएं या फिर अधिक मात्रा में लेकिन अगर आप बादाम किसी और स्वास्थ्य लाभ लिए खाना चाहते हैं तो फिर आप बादाम  का सेवन कर सकते हैं बादाम से अगर बवासीर में कोई फायदा नहीं हुआ तो इससे नुकसान भी नहीं होगा अगर हम  फाइबर  की बात करें तो विकिपीडिया के अनुसार  100 ग्राम बादाम में लगभग 10 से 12 ग्राम फाइबर  पाया जाता है यह बादाम की क्वालिटी के ऊपर निर्भर करता है यह कम और ज्यादा भी हो सकता है  इस फाइबर की मात्रा को हम बवासीर रोगियो के  लिए ज्यादा अच्छा तो नहीं कह सकते क्योंकि बवासीर के रोगियों को उच्च फाइबर युक्त वाले भोजन की आवश्यकता ज्यादा होती है ऐसे में आप अगर बादाम का सेवन करना चाहते है  तो आप सेवन कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे आप बादाम का सेवन अधिक मात्रा में ना करें क्योंकि अगर आप अधिक मात्रा में सेवन करते है तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे शरीर में अत्यधिक गर्मी,खुजली होना 

बवासीर में गर्म पानी पीने के फायदे 

बवासीर में गर्म पानी पीने के क्या फायदे होते हैं कुछ लोगों को लगता है कि बवासीर में गर्म पानी पीने से बहुत फायदा होता है लेकिन यह धारणा बहुत गलत होती है क्योंकि गर्म पानी से कोई फायदा नहीं होता है और इसमें रेशे नहीं होते हैं यह सामान्य पानी की तरह होता हैं कभी-कभी ऐसा लगता है कि गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या नहीं बनेगी लेकिन ऐसा नहीं है अगर आप गर्म पानी की जगह ठंडा पानी या फिर गुनगुने पानी का भी सेवन करते हैं तो यह कब्ज की समस्या में लाभदायक होता है लेकिन गरम पानी पीने से ज्यादा फायदा होगा ऐसा नहीं होता क्योंकि जब हम गर्म पानी पीते हैं तो  आधे से ज्यादा पानी हमारे मुंह में ही  ठंडा हो जाता है और इस तरह वह हमारे पेट में गुनगुने पानी की तरह ही काम करता है इसलिए आप गर्म पानी की जगह गुनगुने पानी का ही सेवन करें तो आपको बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे

बवासीर में रोटी खानी चाहिए या नहीं?

बवासीर में रोटी खानी चाहिए या नहीं यह जरूरी और बहुत ही महत्वपूर्ण क्वेश्चन है क्योंकि रोटी तो हम आप सभी खाते हैं लेकिन बवासीर में किस प्रकार की रोटी खानी चाहिए जिससे हमें फायदा हो और बवासीर बहुत जल्दी ठीक हो जाए क्योंकि  रोटी कौन सी खानी चाहिए इसका आपको पता होना चाहिए अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार के रोटी खाते हैं जैसे गेहूं की रोटी मक्का की रोटी, चावल की  रोटी , ज्वार की रोटी लेकिन सबसे ज्यादा गेहूं की रोटी खाई जाती हैं सबसे बेस्ट रोटी चोकर के आटे की रोटी होती है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जिससे मल त्यागने में बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होती और बवासीर रोगी को कब्ज में बहुत ज्यादा आराम होता हैं

क्या बवासीर रोग में फल खाना लाभदायक होता  है  

वैसे तो देखा जाए जब भी कोई बीमारी किसी को होती है तो सबसे पहले उसे फल खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि फल सुरक्षित होते हैं और उस फल से हमें भरपूर पोषक तत्व प्राप्त होते हैं और किसी प्रकार का साइड इफेक्ट भी नहीं होता लेकिन यह भी जानना जरूरी हो जाता है कि किस किस बीमारी में कौन कौन सा फल खाना ज्यादा लाभ होता है बवासीर रोग में कौन सा फल खाना चाहिए बवासीर में आमतौर पर सभी फल खाने चाहिए लेकिन कुछ फल को कम ही खाना चाहिए जैसे अंगूर नींबू अनानास ये फल खाने चाहिए लेकिन थोड़ा कम मात्रा में क्योंकि यह थोड़े खट्टे होते हैं और खट्टे कारण कभी-कभी से  बवासीर में खुजली  हो जाती है और अगर खूनी बवासीर है तो खूनी बवासीर में आपको अमरूद और सेब फल खाने चाहिए क्योंकि इन दोनों फल में सबसे अधिक मात्रा मे आयरन पाया जाता है और खूनी बवासीर में अक्सर देखा गया है कि शरीर में खून की कमी हो जाती है और उन फलों  में आयरन भरपूर मात्रा मे पाया जाता है जो आपके शरीर में रक्त बनाने में सहायता करता है जिससे खून की कमी नहीं हो पाती इसके अलावा और केला संतरा नाशपाती भी खाना चाहिए जिससे आपको भरपूर फायदा मिलेगा और जो आपके शरीर में कब्ज को बनने से रोकने के लिए आपकी बहुत मदद करेंगे जिसके कारण बवासीर  जल्द से जल्द ठीक हो जाएगा 

 आप पपीते के जूस का भी  सेवन अधिक से अधिक कर सकते है इसलिए क्योंकि यह फल वर्षभर आसानी से मिल जाता है और फाइबर से  भरपूर होता है 

क्या केवल फल खाने से बवासीर  रोग ठीक जाएगा 

बवासीर में आप चाहे कोई सा भी फल खाएं वह बवासीर में ठीक करने में सहायक हो सकता है उससे लाभ मिल सकता है लेकिन  बवासीर को पूरी तरह से ठीक नहीं कर सकता वह बात ठीक है कि फलों में बहुत मात्रा में फाइबर पाया जाता है और जो कब्ज को नहीं होने देता और अगर शरीर से कब्ज खत्म हो जाती है  तो फिर बवासीर भी  नहीं रहता लेकिन आपको  कुछ दवाइयों को जरूर लेना पड़ेगा क्योंकि सिर्फ फल ही बवासीर को ठीक होने में सक्षम नहीं हैं 

बवासीर में लहसुन खाना चाहिए या नहीं 

जहाँ तक बवासीर में लहसुन  खाने की बात है तो लहसुन का प्रयोग कम ही करना चाहिए चाहे आप बवासीर में करें या फिर सामान्य रूप से करें ऐसा माना जाता है कि लहसुन की एक या दो कली ही व्यक्ति को खानी चाहिए इससे ज्यादा खाने पर व्यक्ति को अनेक प्रकार की परेशानी हो सकती है अगर आप बवासीर में लहसुन खाना चाहते हैं तो बहुत सीमित मात्रा में लहसुन की 1 या 2 कली का ही प्रयोग करें इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा

क्या मेथी से बवासीर का इलाज हो सकता है 

मेथी से बवासीर का पूरा इलाज नहीं हो सकता लेकिन इससे फायदा जरुर हो सकता है बादी बवासीर में, खूनी बवासीर में लाभ नहीं होगा बादी बवासीर की समस्या  है तो इस प्रयोग को कर सकते हैं इसके लिए 4 से 5 ग्राम या फिर चुटकी भर मेथी रात को पानी में भिगोकर रख दे और सुबह पानी  को पी ले और मेथी के दानो को भी चबाकर खा जाए ऐसा करने से बवासीर मे फायदा होगा और पेट में बनने वाली कब्ज से भी राहत मिलेगी मेथी थोडी कड़वी लगती है आप स्वाद के अनुसार इसमेंं गुड या शक्कर मिला सकते हैलेकिन क्या ऐसा करने से फायदा होगा हमें  लगता है कि आप इस तरह के घरेलू उपाय के ही भरोसे मत बैठे अन्य दवाई भी साथ मे लेते रहे

 क्या बिना ऑपरेशन के बवासीर पूरी तरह से ठीक हो सकता है?

जी हां, बवासीर को बिना ऑपरेशन के पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। बवासीर के इलाज के लिए कुछ घरेलू नुस्खे जिन्हें अगर समय पर अपनाया जाए तो बवासीर ठीक हो सकती है।बवासीर के कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

संतुलित आहार: बवासीर के इलाज के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है। सही आहार खाने से बवासीर के लक्षणों में सुधार हो सकता है। 

डिहाइड्रेशन से बचें: डिहाइड्रेशन बवासीर के लक्षणों को और बढ़ा देता है अर्थात शरीर में पानी की कमी इसलिए रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पिएं।,

फाइबर युक्त आहार: फाइबर युक्त आहार का सेवन करने से बवासीर के लक्षणों में सुधार होता है।

अपनी बैठने की आदतों को बदलें: लंबे समय तक बैठे रहने से बवासीर के लक्षण बढ़ सकते हैं, इसलिए अपनी बैठने की आदतों को बदलने की जरूरत है। अगर आप अधिक समय तक बैठे रहते हैं तो बीच-बीच में थोड़ी देर चलते फिरते रहे और अगर आप अधिक समय तक ऐसा कोई काम करते हो जिसमें अधिक समय  खड़े रहते हैं तो फिर बीच-बीच में थोड़ी देर के लिए बैठ जाएं

बवासीर के लिए आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग करें जो उपचार में सहायक हो सकती हैं।

बवासीर में मीठा( जैसे-चीनी,गूड) खा सकते है 

बवासीर होने पर मीठा खाने को लेकर कोई निश्चित नियम नहीं है बवासीर रोग में मीठा खाने से कोई   नुकसान नहीं होता क्योंकि मीठे पदार्थ गुलकोज का प्रारंभिक रूप होते हैं जो कि शरीर में पचने के बाद गुलकोज का रूप धारण कर लेते  है जिससे हमारे शरीर को एनर्जी मिलती है हालांकि कुछ लोगों के लिए मीठा खाने से बवासीर की समस्या बढ़ सकती है और कुछ लोगों के लिए इसका कोई असर नहीं होता है। अगर आपको बवासीर है और मीठा खाने के बाद आपको परेशानी होती है तो आपको मीठा खाने से बचना चाहिए या इसकी मात्रा सीमित कर देनी चाहिए।

लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि किस प्रकार का मीठा खाने से बवासीर  बढ़ सकती है और किस प्रकार को मीठा खाने से बवासीर रोग में कोई असर नहीं होता

अगर बवासीर का रोग मीठा खाने से बढ़ता है तो हो सकता है कि वह मीठा ऐसा हो जिसमें अधिक मात्रा में चीनी मिली हो और चीनी स्वास्थ्य के लिए वैसे भी लाभदायक नहीं होती हां लेकिन कुछ कंडीशन में चीनी को खाने से इग्नोर नहीं किया जा सकता लेकिन  जहां तक बात है चीनी खाने की अगर इससे बने हुए पदार्थ  जैसे कि रसगुल्ला, चाय, कॉफी पकवान अगर व्यक्ति  खाता है और उसे बवासीर रोग है  तो निश्चित ही उसका   रोग बढ़ सकता है

लेकिन अगर वहीं पर ऐसा मीठा खाया जाए जो प्राकृतिक हो तो ऐसे मे बवासीर रोग होने की संभावना बिल्कुल भी नहीं होती उदाहरण के तौर पर मीठे फल ले सकते हैं और गुड जो कि मीठा होता है लेकिन चीनी से कहीं अधिक गुणकारी होता है और बवासीर  रोग में नुकसान नहीं होने देता और अगर आप गन्ने का सेवन करते हैं और इसका रस पीते हैं तो यह बहुत फायदेमंद होगा गन्ने का रस शरीर को तुरंत एनर्जी देता है। इसके अलावा आप गुड़ या शक्कर से बना गेहूं का दलिया का भी सेवन कर सकते हैं जो कि बहुत ही पौष्टिक और फाइबर से भरपूर होता है

इसलिए अगर आपको  बवासीर है और मीठा खाने का मन करे तो कोशिश करें कि प्राकृतिक मीठा ही खाएं जैसे कि फल, गन्ना गुड़ , शक्कर इस तरह खाने से आपको कोई भी समस्या नहीं होगी  बल्कि आपको  इन सभी से फायदा ही होगा

पाइल्स की होमियोपेथिक दवा  

R13 बवासीर की होम्योपैथिक दवाई है चाहे बादी बवासीर हो या खूनी बवासीर  आप R13 होमियोपैथिक दवा  का यूज कर सकते हैं और इसे यूज करना भी बिल्कुल आसान है आप इसकी 10 से 15 बूंद दिन में तीन बार सुबह दोपहर और शाम को खाना खाने से एक घंटा पहले या फिर खाना खाने के 1 घंटा बाद ले सकते हैं  इसे आधा कप पानी में 10 से 15 बूंद मिलाकर पी सकते हैं  यह एक होम्योपैथिक दवा  है और इस दवा का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है

बवासीर इन हिंदी

क्या  बवासीर में नमक खा सकते है  

बवासीर  में नमक खाना चाहिए नमक स्वाद के लिए खाया जाता है और यह सोडियम और कैल्शियम का स्त्रोत है नमक के बिना सब्जी  अच्छी नहीं  लगती  इसलिए  नमक का प्रयोग जरूर करें, अगर आपको  बवासीर में  ज्यादा खुजली  होती है तो नमक कम ही खाएं इससे बवासीर में होने वाली खुजली में आराम मिलता है और खुजली कम होती है











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